Wednesday 25 January 2012

गणतंत्र दिवस पर कुछ शब्द मेरी तरफ से

कहाँ से शुरुआत करूँ  कुछ समझ में नहीं आ रहा... फिर भी सोचा आज कुछ लिखना अच्छा रहेगा... आज हम २६ जनवरी मना रहे हैं... सुबह उठा तो आज की सुबह भी कुछ अनोखी नहीं थी...  हालांकि कल रात में ही ये सोच लिया था कि सुबह जगने पर किसी स्कूल में जाऊंगा और सलामी दूंगा अपने तिरंगे को जो हमारी शान है..  और सुबह  उठ भी गया था स्कूल के दिनों कि तरह उन यादो को ताज़ा करने के लिए जो कुछ साल पहले तक २६ जनवरी के कई दिन पहले ही पैदा हो जाया करते थे...
पर अब ये सारी बातें बेमानी लगने लगी हैं.. खुद से ही पूछता हूँ ---- आखिर क्यूँ? कोई जवाब नहीं सूझ रहा.. कुछ ख़यालात आ भी रहे हैं तो वो पानी के बुलबुले कि तरह गायब हो जा रहे हैं,,,
 हालांकि यहाँ भोपाल में आने के बाद ये दूसरा मौका है जब मैं  आज का दिन भी शायद यूँ ही गवाँ बैठूं... लेकिन   शाम शायद कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जाने का और बी. एच. ई. एल.  में "अखिल भारतीय कवि सम्मलेन " सुनने का मौका मिल सके..
 शायद मैं यहाँ मुद्दे से भटक रहा हूँ या फिर मुद्दे पर आ रहा हूँ ... मैंने आज सुबह अपने कुछ मित्रों को ये मैसेज भी किया था कि अगर आप  लोगों के पास कुछ समय हो तो आप प्लीज़ आज एक ज़िम्मेदार  भारतीय होने के नाते    " भारतीय संविधान" को कुछ मिनट ज़रूर देंगे और उसकी कुछ बातें जानने समझने कि कोशिश जरूर करेंगे... पता नहीं क्यूँ ऐसी बातें कुछ लोगों को फिर बकवास लग गयी? लेकिन अब मुझे इन बातों का जवाब नहीं ढूँढना है, और अगर ढूँढना भी है तो वो खुद से ही...
अब आज कि तारीख २६ जनवरी पर गर्व नहीं होता ...  क्यों? मुझे नहीं जानना या नहीं बताना, या यूं कह दूं कि मुझमे बतलाने कि काबिलियत नहीं... समझने कि काबिलियत नहीं.. 

2 comments:

  1. baat v sahai hi ,,, par ham log kar v kya saktai h ,, vrastachar se lipt es samaj mai ,, aab kuch v acha sochna bahut he musskil h

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  2. आपकी सोच अनुकरणीय है ...समस्या तो यही है की हम सबको अधिकार मांगने हैं पर जिम्मेदार नागरिक बनने की सोच ही नदारद है.....

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