Monday 3 October 2011

यादों के साए में ज़िन्दगी..

यादों के  साए में कट रही थी ज़िन्दगी,
हर पल तेरा हँसना -मुस्कुराना नजर आता था...
यूँ मुफलिस हुए थे तेरे जाने के बाद,
बस तेरा संवारना और खुद का बिखरना नजर आता था...
यादों के साए में कट रही थी ज़िन्दगी,
सिर्फ तेरा और तेरा बरसना नजर आता था..

और अब जब तूम फिर से मिल गयी हो..

तुम्हारे जाने के बाद यूँ खोयी थी निगाहें तुम्हारी तलाश में...
कि फिर से तुम्हारे मिलने के बाद,
जज्बातों का हर काफिला तेरे संग नजर आता है..
खुद से खुद के मिलने का एहसास मिला तुमसे फिर से जुड़ने के बाद...
हर पल तेरे संग बिताया हर वो लम्हा नज़र आता है... 

अब तो तेरे साए में कट रही है ज़िन्दगी...
सिर्फ तेरा और तेरा चेहरा नज़र आता है...

2 comments:

  1. waw!!!!!!!super... aapto bahot a6a likhte he.....hume nahi pata tha...bhai sahab 1 bat pu6 sakti hu? ki iske pi6e inspiration to koi na koi to honi chahiye...kon he vo? anyways keep it up

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  2. waaoooo..super man..kya taarif kru aapke mohabbat ki.ye word to usi k liye h aap to bs kalam ki syaahi h.

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